निर्विवाद है, निर्विकार है,
निर्विकल्प है, निरामय है
शामरुप है, शांतरुप है,
बोधरुप है, देवरुप है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है
निजानंद है, चिदानंद है,
सदानंद है जो
वोही राम है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है ।।
१)सत्यकी जो देवता है,
प्रेमका अभिधान
श्रद्धकी जो धारणा है,
भक्तीका अभियान
सद् विचार है, सदाचार है,
सद् विवेक है, सद् वचन है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है ।।
२)शस्त्रका संयम है जो,
शास्त्रका अभिमान
प्रिथ्वीकी जो संस्क्रिती,
त्रैलोक्य का अवधान
शूर मन है, ग्यान धन है,
निरंजन है, अमितगुण है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम।।
३)दीनका उद्धरण है जो,
परम करुणाधाम
दुष्टमर्दन सर्वजीत जो,
विश्वका विश्राम
तनयोत्तम है, नरोत्तम है,
नृपोत्तम (न्रिपोत्तम) है, सर्वोत्तम है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है।।
कवी – संजय उपाध्ये