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एका गोरज घडीला

एका गोरज घडीला
चंद्र आणिला घरात
आणि काजळून गेले
सारे आकाश क्षणात

रातराणीचा सुगंध
साऱ्या गावात दाटला
कसा फांदी फांदीवरी
दंगा वाऱ्याने मांडला

तुझ्या स्वप्नील डोळ्यात
लक्ष चांदणी उत्सव
तुझ्या ओठांनी टिपले
माझ्या डोळ्यातील दव

मागे वळायचे नाही
रागे / धागे जोडायचे फुला
शुभ मुहूर्ताचे क्षणी
दिवा पाण्यात सोडला

कवी – अरुण सांगोळे
गायक – पं श्री सुरेश वाडकर
संगीत – श्रीधर फडके
ताल – दादरा

तेजोमय नादब्रह्म

ऐसे गावे गीत

ऐसे गावे गीत सुस्वरे
ऐसे गावे गीत सुस्वरे
तन मन व्हावे तल्लीन हो
मालकंस हा सुभग सूरमय
रसमय व्हावे जीवन हो
ऐसे गावे गीत सुस्वरे

राग सुरांचे साज लेवुनी
लय तालांची साथ घेवुनी
शब्दही यावे नटूनि थटूनि
अवचित व्हावे मीलन हो

सूर चेतना, सूर प्रेरणा
सूर प्रार्थना, सूर भावना
सुरेश्वराची सूर वंदना
सुखकर व्हावे अभिजन हो

कवी – श्री नितीन आखवे
गायिका – सौ आरती अंकलीकर – टिकेकर
संगीत – श्रीधर फडके

निर्विवाद है, निर्विकार है

निर्विवाद है, निर्विकार है,
निर्विकल्प है, निरामय है
शामरुप है, शांतरुप है,
बोधरुप है, देवरुप है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है
निजानंद है, चिदानंद है,
सदानंद है जो
वोही राम है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है ।।

१)सत्यकी जो देवता है,
प्रेमका अभिधान
श्रद्धकी जो धारणा है,
भक्तीका अभियान
सद् विचार है, सदाचार है,
सद् विवेक है, सद् वचन है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है ।।

२)शस्त्रका संयम है जो,
शास्त्रका अभिमान
प्रिथ्वीकी जो संस्क्रिती,
त्रैलोक्य का अवधान
शूर मन है, ग्यान धन है,
निरंजन है, अमितगुण है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम।।

३)दीनका उद्धरण है जो,
परम करुणाधाम
दुष्टमर्दन सर्वजीत जो,
विश्वका विश्राम
तनयोत्तम है, नरोत्तम है,
नृपोत्तम (न्रिपोत्तम) है, सर्वोत्तम है
ब्रम्हराम है, कर्मराम है,
अध्यात्मराम है, कैवल्यराम है।।

कवी – संजय उपाध्ये